उप सम्पादक जीत बहादुर चौधरी की रिपोर्ट
15/11/2025
काठमनण्डौ,नेपाल – बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने कई लोगों को चौंका दिया है।
इसने मीडिया और सोशल मीडिया के दुष्प्रचार और वास्तविक चुनाव नतीजों के बीच के अंतर को उजागर कर दिया है। इस चुनाव में कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के नेतृत्व वाले महागठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा है, जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने बड़ी जीत हासिल की है।
*तेज प्रताप यादव की शर्मनाक हार, जो ‘व्यापक’ हो गई है:*
इस चुनाव का सबसे बड़ा सबक लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव की हार है। सोशल मीडिया पर बेहद लोकप्रिय, यूट्यूब पर खूब पैसा खर्च करने वाले और हर मीडिया के आकर्षण का केंद्र बने तेज प्रताप से चुनाव से पहले ही कई लोगों को जीत की उम्मीद थी।
वह हर मीडिया को इंटरव्यू देने के लिए तैयार थे और यह भी उम्मीद थी कि उनकी पार्टी कई सीटें जीतेगी।
हालाँकि, नतीजे सभी उम्मीदों से अलग रहे। पैसा लगाकर और यूट्यूब को बढ़ावा देकर वह वायरल हो गए थे। इसी तरह, उनके भाई तेजस्वी यादव भी सोशल मीडिया पर इतने लोकप्रिय थे कि बाजी उन्हीं के हाथ लगी। दोनों भाई सोशल मीडिया पर हर जगह लोकप्रिय थे, लेकिन नतीजे बेहद निराशाजनक रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री ने क्लीन स्वीप किया।
तेज प्रताप यादव महुआ सीट पर 51,938 वोटों के भारी अंतर से हार गए और उनकी अपनी पार्टी जनशक्ति जनता दल को चुनाव में शून्य (0) सीटें मिलीं। इस नतीजे ने साफ़ कर दिया कि सिर्फ़ सोशल मीडिया पर सक्रिय रहना और यूट्यूब पर पैसा खर्च करना चुनाव नहीं जीता जा सकता।
*मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की खामोश रणनीति:*
एक तरफ़ मीडिया और सोशल मीडिया का ध्यान तेज प्रताप और उनके परिवार पर केंद्रित था। लेकिन दूसरी तरफ़, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मीडिया में अपेक्षाकृत कम दिखाई दिए, चुपचाप अपने एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करते हुए बिहार की जनता के लिए काम करते रहे। मीडिया का कम ध्यान मिलने के बावजूद, वे अपने लक्ष्य पर अडिग रहे, जिसके परिणामस्वरूप एनडीए को शानदार जीत मिली।
*मीडिया के लिए सबक:*
इस चुनाव ने मीडिया को एक बड़ा सबक सिखाया है। अत्यधिक प्रचार और साक्षात्कारों के आधार पर की गई सभी भविष्यवाणियाँ विफल रहीं। मतदाताओं ने मीडिया की अफवाहों से ज़्यादा जनता के लिए काम करने वालों को प्राथमिकता दी। इस नतीजे ने यह संदेश दिया है कि सोशल मीडिया पर मशहूर या ‘व्यापक’ बनकर आप चुनाव नहीं जीत सकते।
*महागठबंधन और लालू परिवार में भूचाल:*
तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन को इस चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा—राजद को 25 सीटें मिलीं और कांग्रेस को सिर्फ़ 6 सीटें मिलीं। तेजस्वी ने अपनी सीट तो बचा ली, लेकिन हार के बाद से वे खामोश हैं।
सबसे अहम बात यह है कि नतीजे आते ही लालू परिवार में घरेलू कलह शुरू हो गई है। लालू यादव को किडनी दान करने वाली उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर घोषणा की है कि उन्होंने पार्टी और परिवार, दोनों से नाता तोड़ लिया है।
इस तरह, इस बिहार चुनाव ने सोशल मीडिया की लोकप्रियता और ज़मीनी स्तर पर किए गए काम के बीच एक स्पष्ट रेखा खींच दी है।







