उप सम्पादक जीत बहादुर चौधरी की रिपोर्ट
17/11/2025
काठमाण्डौ,नेपाल – लोकप्रिय लोक गायिका मैथिली ठाकुर बिहार विधानसभा की सबसे युवा विधायक हैं।
बिहार के दरभंगा ज़िले की अलीनगर विधानसभा सीट जीतकर ठाकुर भारत की अब तक की सबसे युवा सांसद बन गई हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से चुनाव लड़ने वाली ठाकुर को 84,915 वोट मिले। उनके प्रतिद्वंद्वी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विनोद मिश्रा को 73,185 वोट मिले। चुनाव से कुछ महीने पहले ही उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के ज़रिए राजनीति में प्रवेश किया। ठाकुर ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की है और संगीत के क्षेत्र में एक प्रतिभाशाली गायिका हैं।
उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ान युवा पुरस्कार और राष्ट्रीय रचनाकार पुरस्कार जैसे पुरस्कार जीत चुकीं ठाकुर इन दिनों हर जगह चर्चा में हैं। वह 13 अगस्त (27 श्रावण) को भाजपा में शामिल हुईं।
लेकिन राजनीति में आने के तीन महीने के भीतर ही उन्होंने एक प्रभावशाली छलांग लगाई और बिहार विधानसभा की सबसे युवा विधायक बनकर इतिहास रच दिया। उन्हें बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने पार्टी में शामिल कराया।
राजनीति में आने से लेकर विधायक बनने तक, उनकी पढ़ाई और पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में हमारी जिज्ञासा बढ़ती गई है।
*मैथिली ठाकुर कौन हैं?*
मैथिली ठाकुर का जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी ज़िले में हुआ था। उनके पिता रमेश ठाकुर पेशे से संगीत शिक्षक हैं। माँ पूजा ठाकुर गृहिणी हैं। उनके पिता अच्छी नौकरी और उज्ज्वल भविष्य की तलाश में अपने परिवार के साथ दिल्ली आ गए। मैथिली की पढ़ाई और संगीत का सफ़र भी दिल्ली में ही आगे बढ़ा। उनके दो भाई, ऋषभ और अयाची ठाकुर हैं। वे भी संगीत में सक्रिय हैं।
मैथिली की प्रारंभिक शिक्षा उनके गाँव में हुई। दिल्ली आने के बाद, उन्होंने बाल भवन इंटरनेशनल स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। बाद में, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। संगीत और औपचारिक शिक्षा दोनों एक साथ प्राप्त करने वाली मैथिली ने कड़ी मेहनत और लगन से दोनों क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
उनके पिता और दादा दोनों ही संगीतकार हैं। यही वजह है कि वह छोटी उम्र से ही संगीत के करीब थीं। उनका घर ही शास्त्रीय संगीत की उनकी पहली पाठशाला बन गया। बहुत कम उम्र में ही उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत और मैथिली लोकगीतों में महारत हासिल कर ली थी। उनके गाए शास्त्रीय गीत पिछले कुछ वर्षों से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
*संगीत का सफ़र*
उनका संगीत का सफ़र आसान नहीं रहा। उन्होंने ‘सा रे गा मा पा लिटिल चैंप्स’ और ‘इंडियन आइडल जूनियर’ जैसे बड़े रियलिटी शो में भी हिस्सा लिया। लेकिन शुरुआत में उन्हें अस्वीकृति का सामना करना पड़ा। 8 साल पहले, 2017 में, वह ‘द राइजिंग स्टार’ में ‘फर्स्ट रनर-अप’ बनीं। उसके बाद, उनके भजन और लोकगीत सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे। उनके यूट्यूब चैनल और इंस्टाग्राम पर लाखों फॉलोअर्स हैं। आज उनकी सुरीली आवाज़ लाखों लोगों तक पहुँचती है।
संगीत क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए, बिहार सरकार ने उन्हें 2024 में राज्य खाद्य एवं ग्रामोद्योग बोर्ड का ब्रांड एंबेसडर बनाया। इससे पहले, उन्हें संगीत नाटक अकादमी द्वारा प्रतिष्ठित ‘उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका है। यह पुरस्कार प्राप्त करना युवा कलाकारों के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। पिछले साल ही उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय रचनाकार पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
उनके प्रशंसक उन्हें ‘जूनियर बिहार कोकिला’ कहते हैं। उनका गायन मधुर है, लोकगीत गहरे हैं और उनकी आवाज़ सरल है। वह हिंदी, भोजपुरी और मैथिली सहित कई भाषाओं में गाती हैं।
न केवल देश में, बल्कि उन्होंने शास्त्रीय और लोकगीतों के लिए विदेशों में भी प्रस्तुति दी है। भारतीय मीडिया के अनुसार, उन्हें एक शो के लिए 5 से 7 लाख रुपये मिलते हैं।
उनके पारंपरिक और भक्ति गीतों ने उन्हें देश-विदेश में दर्शकों के बीच लोकप्रिय बना दिया है। उनके वीडियो लाखों बार देखे जाते हैं और वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रस्तुति देती हैं।
मैथिली भाषा में अपने लोकगीतों के कारण, वह नेपाल के तराई-मधेश क्षेत्र, खासकर मिथिला क्षेत्र में भी उतनी ही लोकप्रिय हैं। उन्होंने 2023 में जानकी मंदिर के दर्शन भी किए थे।
राजनीति में प्रवेश करने से पहले, उन्हें भारत के चुनाव आयोग द्वारा बिहार का ‘स्टेट आइकॉन’ भी बनाया गया था। मैथिली ने 2024 में अजय देवगन और तब्बू अभिनीत फिल्म ‘औरो में कहाँ दम था’ में ‘किसी रोज़’ गाना गाया था।
बिहार विधानसभा चुनाव जीतने के बाद मैथिली ने भावुक होकर मतदाताओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “आज आपके अपार प्रेम, विश्वास और आशीर्वाद के कारण मैं आपकी प्रतिनिधि नहीं, बल्कि आपकी बेटी बनकर खड़ी हूँ। यह जीत सिर्फ़ मेरी नहीं, अलीनगर की है। यह अलीनगर के हर घर की है, हर उस हाथ की है जिसने मुझे आशीर्वाद दिया।”







